'रम्ज़' अधूरे ख़्वाबों की ये घटती बढ़ती छाँव By Sher << आँखों में बस के दिल में स... ख़्वाब तुम्हारे आते हैं >> 'रम्ज़' अधूरे ख़्वाबों की ये घटती बढ़ती छाँव तुम से देखी जाए तो देखो मुझ से न देखी जाए Share on: