मुँह ज़र्द ओ आह-ए-सर्द ओ लब-ए-ख़ुश्क ओ चश्म-ए-तर By Sher << माइल-ए-बेदाद वो कब था ... पब्लिक में ज़रा हाथ मिला ... >> मुँह ज़र्द ओ आह-ए-सर्द ओ लब-ए-ख़ुश्क ओ चश्म-ए-तर सच्ची जो दिल-लगी है तो क्या क्या गवाह है Share on: