मुबहम थे सब नुक़ूश नक़ाबों की धुँद में By नक़ाब, Sher << मुसाफ़िरत का वलवला सियाहत... लबों पर तबस्सुम तो आँखों ... >> मुबहम थे सब नुक़ूश नक़ाबों की धुँद में चेहरा इक और भी पस-ए-चेहरा ज़रूर था Share on: