मुझ को ये होश ही न था तू मिरे बाज़ुओं में है By Sher << ये क़ाफ़िले यादों के कहीं... है कहाँ तमन्ना का दूसरा क... >> मुझ को ये होश ही न था तू मिरे बाज़ुओं में है यानी तुझे अभी तलक मैं ने रिहा नहीं किया Share on: