मुझे भी ख़ुद न था एहसास अपने होने का By Sher << जो चला गया सो चला गया जो ... कोई दस्तक कोई आहट न सदा ह... >> मुझे भी ख़ुद न था एहसास अपने होने का तिरी निगाह में अपना मक़ाम खोने तक Share on: