मुझे पढ़ता कोई तो कैसे पढ़ता By Sher << या रब तिरी रहमत का तलबगार... सरकशी ख़ुद-कशी पे ख़त्म ह... >> मुझे पढ़ता कोई तो कैसे पढ़ता मिरे चेहरे पे तुम लिक्खे हुए थे Share on: