मुझे रोकेगा तू ऐ नाख़ुदा क्या ग़र्क़ होने से By Sher << ख़ुदा ऐसे एहसास का नाम है कोई तो है 'मुनीर'... >> मुझे रोकेगा तू ऐ नाख़ुदा क्या ग़र्क़ होने से कि जिन को डूबना है डूब जाते हैं सफ़ीनों में Share on: