मुझे तस्लीम है क़ैद-ए-क़फ़स से मौत बेहतर है By Sher << अहद-ए-जवानी रो रो काटा पी... मिरे बदन पे ज़मानों की ज़... >> मुझे तस्लीम है क़ैद-ए-क़फ़स से मौत बेहतर है नशेमन पर हुजूम-ए-बर्क़-ओ-बाराँ कौन देखेगा Share on: