अहद-ए-जवानी रो रो काटा पीरी में लीं आँखें मूँद By Sher << ज़मीं का रिज़्क़ हूँ लेकि... मुझे तस्लीम है क़ैद-ए-क़फ... >> अहद-ए-जवानी रो रो काटा पीरी में लीं आँखें मूँद यानी रात बहुत थे जागे सुब्ह हुई आराम किया Share on: