मुझे तौबा का पूरा अज्र मिलता है उसी साअत By Sher << निकल गए हैं जो बादल बरसने... किसी रईस की महफ़िल का ज़ि... >> मुझे तौबा का पूरा अज्र मिलता है उसी साअत कोई ज़ोहरा-जबीं पीने पे जब मजबूर करता है Share on: