मुझे उस जुनूँ की है जुस्तुजू जो चमन को बख़्श दे रंग ओ बू By Sher << लहू न हो तो क़लम तर्जुमाँ... हम-दिगर मोमिन को है हर बज... >> मुझे उस जुनूँ की है जुस्तुजू जो चमन को बख़्श दे रंग ओ बू जो नवेद-ए-फ़स्ल-ए-बहार हो मुझे उस नज़र की तलाश है Share on: