लहू न हो तो क़लम तर्जुमाँ नहीं होता By Sher << ये तूफ़ान-ए-हवादिस और तला... मुझे उस जुनूँ की है जुस्त... >> लहू न हो तो क़लम तर्जुमाँ नहीं होता हमारे दौर में आँसू ज़बाँ नहीं होता Share on: