मुझी को पर्दा-ए-हस्ती में दे रहा है फ़रेब By धोखा, हुस्न, Sher << तुम ने हर ज़र्रे में बरपा... गुफ़्तुगू-ए-सूरत-ओ-म'... >> मुझी को पर्दा-ए-हस्ती में दे रहा है फ़रेब वो हुस्न जिस को किया जल्वा-आफ़रीं मैं ने Share on: