मुझी को वाइज़ा पंद-ओ-नसीहत By Sher << तुराब-ए-पा-ए-हसीनान-ए-लखन... कमर धोका दहन उक़्दा ग़ज़ा... >> मुझी को वाइज़ा पंद-ओ-नसीहत कभी उस को भी समझाया तो होता Share on: