मुनव्वर माँ के आगे यूँ कभी खुल कर नहीं रोना By Sher << कल जहाँ से कि उठा लाए थे ... मुद्दत हुई इक शख़्स ने दि... >> मुनव्वर माँ के आगे यूँ कभी खुल कर नहीं रोना जहाँ बुनियाद हो इतनी नमी अच्छी नहीं होती Share on: