खड़ा हूँ ज़ेर-ए-फ़लक गुम्बद-ए-सदा में 'मुनीर' By Sher << मक़ाम-ए-शौक़ तिरे क़ुदसिय... तरब-ज़ारों पे क्या गुज़री... >> खड़ा हूँ ज़ेर-ए-फ़लक गुम्बद-ए-सदा में 'मुनीर' कि जैसे हाथ उठा हो कोई दुआ के लिए Share on: