कितने यार हैं फिर भी 'मुनीर' इस आबादी में अकेला है By Sher << मोहब्बत के लिए दिल ढूँढ क... तुम हुस्न की ख़ुद इक दुनि... >> कितने यार हैं फिर भी 'मुनीर' इस आबादी में अकेला है अपने ही ग़म के नश्शे से अपना जी बहलाता है Share on: