मुद्दत के ब'अद आज उसे देख कर 'मुनीर' By Sher << तिरे आज़ाद बंदों की न ये ... मैं आज सिर्फ़ मोहब्बत के ... >> मुद्दत के ब'अद आज उसे देख कर 'मुनीर' इक बार दिल तो धड़का मगर फिर सँभल गया Share on: