आज की शब गर रहेंगे 'मुसहफ़ी' बैरून-ए-दर By Sher << अभी हैरत ज़ियादा और उजाला... आलम-ए-इश्क़ में अल्लाह-रे... >> आज की शब गर रहेंगे 'मुसहफ़ी' बैरून-ए-दर क्या करें हम को तो दरबाँ की भी ख़ातिर है ज़रूर Share on: