अपनी ग़रज़ को आए थे वो रात 'मुस्हफ़ी' By Sher << ज़ोरों पे 'सलीम' ... सज्दा-ए-इश्क़ पे तन्क़ीद ... >> अपनी ग़रज़ को आए थे वो रात 'मुस्हफ़ी' ले कर मिरी बग़ल से मिरा दिल रवाँ हुए Share on: