ज़ोरों पे 'सलीम' अब के है नफ़रत का बहाव By Sher << ये जो साए से भटकते हैं हम... अपनी ग़रज़ को आए थे वो रा... >> ज़ोरों पे 'सलीम' अब के है नफ़रत का बहाव जो बच के निकल आएगा तैराक वही है Share on: