ऐ 'मुसहफ़ी' गावे ये ग़ज़ल मेरी जो राँझा By Sher << पुकारते हैं उन्हें साहिलो... उस लब-ए-बाम से ऐ सरसर-ए-फ... >> ऐ 'मुसहफ़ी' गावे ये ग़ज़ल मेरी जो राँझा मानिंद-ए-परी उड़ने लगे हीर हवा पर Share on: