पुकारते हैं उन्हें साहिलों के सन्नाटे By Sher << याद करने पे भी दोस्त आए न... ऐ 'मुसहफ़ी' गावे ... >> पुकारते हैं उन्हें साहिलों के सन्नाटे जो लोग डूब गए कश्तियाँ बनाते हुए Share on: