नज़र के सामने का'बा भी है कलीसा भी By Sher << टूटा तो हूँ मगर अभी बिखरा... रात जाती है मान लो कहना >> नज़र के सामने का'बा भी है कलीसा भी यही तो वक़्त है तक़दीर आज़माने का Share on: