टूटा तो हूँ मगर अभी बिखरा नहीं 'फ़राज़' By Sher << हुए मर के हम जो रुस्वा हु... नज़र के सामने का'बा भ... >> टूटा तो हूँ मगर अभी बिखरा नहीं 'फ़राज़' मेरे बदन पे जैसे शिकस्तों का जाल हो Share on: