न बात दिल की सुनूँ मैं न दिल सुने मेरी By Sher << किन दरीचों के चराग़ों से ... ये दिल में वसवसा क्या पल ... >> न बात दिल की सुनूँ मैं न दिल सुने मेरी ये सर्द जंग है अपने ही इक मुशीर के साथ Share on: