न हम वहशत में अपने घर से निकले By Sher << कितने लहजों के ग़िलाफ़ों ... ख़ुद-फ़रेबी सी ख़ुद-फ़रेब... >> न हम वहशत में अपने घर से निकले न सहरा अपनी वीरानी से निकला Share on: