न हाथ सूख के झड़ते हैं जिस्म से अपने By Sher << दोस्त बन बन के मिले मुझ क... सीने पे कितने दाग़ लिए फि... >> न हाथ सूख के झड़ते हैं जिस्म से अपने न शाख़ कोई समर-बार अपनी होती है Share on: