न लुटता दिन को तो कब रात को यूँ बे-ख़बर सोता By Sher << तुम्हारे इश्क़ में हम नंग... क़दम रक्खा जो राह-ए-इश्क़... >> न लुटता दिन को तो कब रात को यूँ बे-ख़बर सोता रहा खटका न चोरी का दुआ देता हूँ रहज़न को Share on: