न तो कुछ फ़िक्र में हासिल है न तदबीर में है By Sher << गुलों से नहीं शाख़ के दिल... कहा आशिक़ से वाक़िफ़ हो त... >> न तो कुछ फ़िक्र में हासिल है न तदबीर में है वही होता है जो इंसान की तक़दीर में है there is naught from worrying, nor from planning gained for everything that happens is by fate ordained Share on: