नई शमएँ जलाओ आशिक़ी की अंजुमन वालो By Sher << चश्म-ए-गिर्यां की आबयारी ... तिरे सितम की ज़माना दुहाई... >> नई शमएँ जलाओ आशिक़ी की अंजुमन वालो कि सूना है शबिस्तान-ए-दिल-ए-परवाना बरसों से Share on: