चश्म-ए-गिर्यां की आबयारी से By Sher << बदन के लोच तक आज़ाद है वो नई शमएँ जलाओ आशिक़ी की अं... >> चश्म-ए-गिर्यां की आबयारी से दिल के दाग़ों पे फिर बहार आई Share on: