नाचती है जब तू अपने दिलरुबा अंदाज़ से By Sher << फूलों में वही तो फूल ठहरा बज़्म-ए-याराँ है ये साक़ी... >> नाचती है जब तू अपने दिलरुबा अंदाज़ से आफ़रीं के नग़्मे उठते हैं दिलों के साज़ से Share on: