बज़्म-ए-याराँ है ये साक़ी मय नहीं तो ग़म न कर By Sher << नाचती है जब तू अपने दिलरु... नाकामियों ने और भी सरकश ब... >> बज़्म-ए-याराँ है ये साक़ी मय नहीं तो ग़म न कर कितने हैं जो मय-कदा बर-दोश हैं यारों के बीच Share on: