पा-ब-जौलाँ तो हर इक शख़्स यहाँ है 'अम्बर' By Sher << मुँह छुपाए जवाब फिरते हैं कोई दिन और ग़म-ए-हिज्र मे... >> पा-ब-जौलाँ तो हर इक शख़्स यहाँ है 'अम्बर' तिरी ज़ंजीर ही क्यूँ शोर बपा करती है Share on: