नई फ़ज़ा में नई दोस्ती पनप न सकी By Sher << तमाम उम्र हवा की तरह गुज़... तुम्हें जफ़ा से न यूँ बाज... >> नई फ़ज़ा में नई दोस्ती पनप न सकी घरों के बीच पुरानी अदावतें थीं बहुत Share on: