नई ख़्वाहिश रचाई जा रही है By Sher << ये कम-बख़्त इक जहान-ए-आरज... है पर-ए-सरहद-ए-इदराक से अ... >> नई ख़्वाहिश रचाई जा रही है तिरी फ़ुर्क़त मनाई जा रही है Share on: