नाज़ उधर दिल को उड़ा लेने की घातों में रहा By Sher << नज़र आता नहीं अब घर में व... न मय-कशी न इबादत हमारी आद... >> नाज़ उधर दिल को उड़ा लेने की घातों में रहा मैं इधर चश्म-ए-सुख़न-गो तिरी बातों में रहा Share on: