नक़्द-ए-दिल-ए-ख़ालिस कूँ मिरी क़ल्ब तूँ मत जान By Sher << समझता हूँ सबब काफ़िर तिरे... सुनाई देती है सात आसमाँ म... >> नक़्द-ए-दिल-ए-ख़ालिस कूँ मिरी क़ल्ब तूँ मत जान है तुझ कूँ अगर शुबह तो कस देख तपा देख Share on: