नक़्श-ए-पा पंच-शाख़ा क़बर पर रौशन करो By Sher << पैरवी से मुमकिन है कब रसा... यूँ तो कई किताबें पढ़ीं ज... >> नक़्श-ए-पा पंच-शाख़ा क़बर पर रौशन करो मर गया हूँ मैं तुम्हारी गरमी-ए-रफ़्तार पर Share on: