नश्शा था ज़िंदगी का शराबों से तेज़-तर By Sher << ब'अद मुद्दत गर्दिश-ए-... ऐ मिरे मूनिस ओ ग़म-ख़्वार... >> नश्शा था ज़िंदगी का शराबों से तेज़-तर हम गिर पड़े तो मौत उठा ले गई हमें Share on: