ना-शनासान-ए-मुहब्बत का गिला क्या कि यहाँ By Sher << निगाह को भी मयस्सर है दिल... मौज-ए-तूफ़ाँ से निकल कर भ... >> ना-शनासान-ए-मुहब्बत का गिला क्या कि यहाँ अजनबी वो हैं कि थी जिन से शनासाई भी Share on: