निगाह को भी मयस्सर है दिल की गहराई By Sher << फूँक कर सारा चमन जब वो शर... ना-शनासान-ए-मुहब्बत का गि... >> निगाह को भी मयस्सर है दिल की गहराई ये तर्जुमान-ए-मोहब्बत है बे-ज़बाँ न कहो Share on: