हम तो मस्जिद से भी मायूस ही आए 'नातिक़' By Sher << इंतिज़ाम-ए-रोज़-ए-इशरत और... हम पाँव भी पड़ते हैं तो अ... >> हम तो मस्जिद से भी मायूस ही आए 'नातिक़' कोई अल्लाह का बंदा तो मुसलमाँ होता Share on: