एहसास मुझ को इतना भी अब तो नहीं 'नवाब' By Sher << मौसम-ए-गुल तिरे सदक़े तिर... मैं हर इक हाल में था गर्द... >> एहसास मुझ को इतना भी अब तो नहीं 'नवाब' मैं जी रहा हूँ आज भी कि मर गया हूँ मैं Share on: