निगाह-ए-मेहर कहाँ की वो बरहमी भी गई By Sher << निगाह-ए-शौक़ से लाखों बना... नज़र से देख तो साक़ी इक आ... >> निगाह-ए-मेहर कहाँ की वो बरहमी भी गई मैं दोस्ती को जो रोया तो दुश्मनी भी गई Share on: