निगाह-ए-यार मिल जाती तो हम शागिर्द हो जाते By Sher << उम्र भर कौन निभाता है तअल... सब के लिए जहान में अब्र-ए... >> निगाह-ए-यार मिल जाती तो हम शागिर्द हो जाते ज़रा ये सीख लेते दिल के ले लेने का ढब क्या है Share on: