निगाहों में जो मंज़र हो वही सब कुछ नहीं होता By Sher << किताब-ए-ज़िंदगी की ये मुक... आप दरिया की रवानी से न उल... >> निगाहों में जो मंज़र हो वही सब कुछ नहीं होता बहुत कुछ और भी प्यारे पस-ए-दीवार होता है Share on: