निकल के जाऊँ कहाँ मैं हिसार-ए-गर्दिश से By Sher << चीज़ें अपनी जगह पे रहती ह... यक़ीं उठ जाए अपने दस्त-ओ-... >> निकल के जाऊँ कहाँ मैं हिसार-ए-गर्दिश से सफ़र ने पाँव में ज़ंजीर कर लिया है मुझे Share on: