निकले कभी न घर से मगर इस के बावजूद By Sher << वो इक चराग़ जो जलता है रौ... ज़िंदगी की भी यक़ीनन कोई ... >> निकले कभी न घर से मगर इस के बावजूद अपनी तमाम उम्र सफ़र में गुज़र गई Share on: